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Showing posts from September, 2008

Six Sher

मेरे दर्द पे वाह-वाह करते हैं वोह लगता था कि उसके आने से सब्र टूटेगा बस कुछ न, कम से कम एक दम देखेंगा सही, लेकिन बदला ना, दगाबाज़ निकला

Paanch Sher

अब और दर्द कि दुआ करूँ, जिस्म-ऐ-जूनून में है वहीँ रहे होश भी ना आए इस ख़याल से, ले चल जहाँ तू मिल जाए मुझे

chaar sher

इतना चाहा ना करो, कि परेशान रहो तुम्हारे आगोश में नहीं गुज़र अपना उसने बनाया है, चाहा भी होगा, अपने हाथों में लेकर, दर्द-ओ-दवा भी देगा

teen sher

सिखाया ही नहीं किताबों ने कभी, कि कैसे निकलते हैं इस जलवे से जालिम बस कहते रहे कि बच के रहो, दूर रहो, और उस्सी किताब में लिखा किसा लैला-मजनू का

do sher

दर्द लिख देता हूँ स्याही से अब तक ना ठीक ना खतम ही हुआ बहुत परेशान रहे हो तुम, कि बिना नागा भरते दवात बस इतनी कि ना दुबूँ मैं और ना ही साँस ले सकूँ

Ek sher

तोड़ दो मुझे, टूट के भी नहीं मानूंगा तेरी खुदाई चल दिए हो मोड़ के मुहं, नहीं बर्दाश्त तेरी जुदाई कुछ इस तरह से अब ठान लिया है, कि इंतज़ार रहेगा उस जनम का, जब हम खुदा, तुम सनम पेश आओगे