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Showing posts from April, 2008

तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा

तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा तुम एक ख्वाब ही तो हो आती हो चली जाती हो कभी कभी एक आह सी छोड़ जाती हो भारी सी इस ज़िंदगी को वीरान कर जाती हो तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा इन पेडों की पत्तियों की सर-सराहट में हँसी चांदनी में एक दर्द जगाती हो सपना देखता हूँ एक दूधिया सफ़ेद पहाड़ का, और सब तरफ़ अशार ही अशार नज़र आते हैं इस स्याही से तुम्हारे बदन पर अपने निशां छोड़ जाऊं और अपने शब्द तुम्हे उडहा के, करूं विदा तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा सात घंटे बीते हैं तुम्हे गए हुए कुछ दो घंटे और दे गयी हो मुझे कुछ पल उजड़े से यहीं पड़े हैं और एक वह जो मैंने मुट्ठी में जकडा हुआ है तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा आज अकेले बैठे ही अनायास ही तुम याद आए सब तरफ़ एक हँसी खुशबू सी थी लगा तुम यहिओं कहीं हो, और आंसू उमड़ आए इतना प्यार न करो मुझसे, कि सह न सकूंगा, और 'गर करो तो रखना विश्वास और मत गिनना यह पल तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा यह समय तुम्हारे लिए, मेरे लिए, अकेलेपन में बिताये हुए पल, वक्त के खंडहर में, कुछ उजड़े साल, पुकारते हैं तुम्हे, तुम्हारे एहसास को आतुर, और अब बीत रहे हैं, कि कल कुछ न रहेगा तुम मेरे पल ले ल

Silences

Let me say this now, for i might not say it then, When you come to me, asking for the time above I had wait for you to say, I had wait that you may, what i fear is not you stopping to love me but I stopping to love you It seems heartless to imagine that but what about the time I spent wanting to be nothing but just around its a dulling ache and a filling wound