तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
तुम एक ख्वाब ही तो हो
आती हो चली जाती हो
कभी कभी एक आह सी छोड़ जाती हो
भारी सी इस ज़िंदगी को वीरान कर जाती हो
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
इन पेडों की पत्तियों की सर-सराहट में
हँसी चांदनी में एक दर्द जगाती हो
सपना देखता हूँ एक दूधिया सफ़ेद पहाड़ का, और
सब तरफ़ अशार ही अशार नज़र आते हैं
इस स्याही से तुम्हारे बदन पर अपने निशां छोड़ जाऊं
और अपने शब्द तुम्हे उडहा के, करूं विदा
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
सात घंटे बीते हैं तुम्हे गए हुए
कुछ दो घंटे और दे गयी हो मुझे
कुछ पल उजड़े से यहीं पड़े हैं
और एक वह जो मैंने मुट्ठी में जकडा हुआ है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
आज अकेले बैठे ही अनायास ही तुम याद आए
सब तरफ़ एक हँसी खुशबू सी थी
लगा तुम यहिओं कहीं हो, और आंसू उमड़ आए
इतना प्यार न करो मुझसे, कि
सह न सकूंगा, और 'गर करो तो
रखना विश्वास और मत गिनना यह पल
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
यह समय तुम्हारे लिए, मेरे लिए,
अकेलेपन में बिताये हुए पल,
वक्त के खंडहर में, कुछ उजड़े साल,
पुकारते हैं तुम्हे, तुम्हारे एहसास को आतुर,
और अब बीत रहे हैं, कि कल कुछ न रहेगा
तुम मेरे पल ले लो, और मैं तुम्हारे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
मुझे ढूँढने दो, इस भीनी सी महक
जो तुम्हारी है, जो फुसफुसा रही है,
मुझे यदा-कदा पुकार रही है
और प्राप्त करने दो मोक्ष, तुम में
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
इस ज़िंदगी में कुछ क्षण हैं,
जो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ,
कुछ गिरेहे जो खुलते नहीं
कुछ पिंजर जो अकेले सड़ से रहे हैं,
इनमे एक क्षण हैं, जब सब अर्थ खो जाते हैं
और एक वह जब सब मिट जाता है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
चलो वापिस लौट चलें
जब ना तुम थे और ना मैं
जब हम हम ही ना थे
जब हम एक दूजे से जुदा थे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
और क्या हश्र होगा हमारा,
जब वीरान दो टापू से
जिनका छोर नहीं मिलता
रहेंगे खड़े हम इस समय के अंत तक
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
वक्त के साथ हम बदल गए
मेरे एहसास पे निशां, और
कुछ भरे हुए से घाव, आखों के किनारे
अंधेरे, और तुम्हारी यादों कि शिकन,
अब कुछ बचा नहीं, छुपाने भर को
जब तुम गए, बदल गए सभी मायने भी
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
वक्त ही ख़राब रहा होगा
मैं कुछ उलझा उलझा सा था
शायद तुम भी, और अब क्या कहूं,
तुमको को ना इस ज़िंदगी में
और ना ही मौत में पा सकता हूँ
समय को रोकने की एक थकी सी कोशिश
टूटा हुआ सा धैर्य
ना आगे बढ़ पाने की हिम्मत
ना तुमको जाने दे पाने का साहस जुटा पा रहा हूँ, मैं
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
कभी रेत पे तुम्हारे निशान ढूँढता हूँ,
रात को अकेले ही मिकल जाता हूँ,
उस एक पल की तलाश में
जो लगता है लहरें बहा के ले गई अपने साथ
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
चलेगी वह चढेगी पालकी में
पीली दूब, गर्म ओस गम की
पखारेंगे कदम तुम्हारे उदासी से
बज उठेगा सन्नाटा, मेरी तन्हाई भी
जब हवा तुम्हारे बाल उड़ा कर ,
छुपा लेती थी तुम्हारी आंखें, तुम्हारी मुस्कराहट
अब भी चलती है, उसी मंथर गति से
पर अब अबस उड़ती है रेत, आंखों मैं आंसू लाती है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
मेरी आवाज़ आज भी टकरा के लौटती है
पर नहीं सुनायी देती है तुम्हारी हँसी
बस सुनता है, टू दर्द के थपेडों की चाप
आंखें बोझल हैं, पर नींद कोसों दूर खड़ी है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
समझ सकता हूँ तुम्हारा मौन,
माना तुम मुझे माफ़ कर देती हो हर बार,
चल दिया हूँ मैं आगे, तुम भी बढ़ना
पर एक इल्तिजा है मेरी, मान लेना
माफ़ करो मुझे पर भूलना मत, यह एहसान करना
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
तमन्नोयों का क्या है, कुछ भी मांग सकता है,
नादान है यह दिल, इसका क्या बुरा मानना,
पर कितना भी बेह्लाओं, कितना भी समझाऊं,
है टू आख़िर मुझ में ही, कहता है तो मेरा ही दोष है,
समझा लूंगा ख़ुद को, दे के थोडी तस्सल्ली,
मेरा मत सोचो, मैं ख़ुद ढूंढ लूंगा अपना मोक्ष
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
ग़ालिब फैज़ दुहरा लिया करूंगा,
अगर टैब भी ना माना तो थोड़ा बेहेक लूंगा
तुम ज़रा भी घाम न करना, देखें हैं जो सपने,
उन्हे चाहूँगा, उन्हें पाऊंगा, बड़ी हसरत,
से मिली है यह ज़िंदगी, इससे वफ़ा करूंगा,
थोडा दर्द है, थोडा गम है, लेकिन जिए जाऊँगा
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
कभी गर किस्मत, जो अभी हम पे मेहरबान नहीं,
मिला दे हमें, ज़िंदगी के किसी मोड़ पर,
हँसना, कहना, बहुत दिन बाद मिले, कैसे हो,
चलना तो कहना अच्छा लगा, जल्द ही फिर मिलेंगे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
गया नहीं किसी मन्दिर किसी गिरजे,
नहीं माँगा कुछ भी तुम्हारे सिवा, तुम्हारे बाद,
आज बहुत तमन्ना है की कुछ मांगू, कुछ चाहूँ,
चाहा की तुम खुश रहो, रहो सुखी, रहो आबाद सदा,
और चाहा ही है, तो मांग बता की तुम, तुम्हारी याद,
आए जिस तरह तुम आते थे, बहार साथ लाते थे,
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
तुम एक ख्वाब ही तो हो
आती हो चली जाती हो
कभी कभी एक आह सी छोड़ जाती हो
भारी सी इस ज़िंदगी को वीरान कर जाती हो
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
इन पेडों की पत्तियों की सर-सराहट में
हँसी चांदनी में एक दर्द जगाती हो
सपना देखता हूँ एक दूधिया सफ़ेद पहाड़ का, और
सब तरफ़ अशार ही अशार नज़र आते हैं
इस स्याही से तुम्हारे बदन पर अपने निशां छोड़ जाऊं
और अपने शब्द तुम्हे उडहा के, करूं विदा
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
सात घंटे बीते हैं तुम्हे गए हुए
कुछ दो घंटे और दे गयी हो मुझे
कुछ पल उजड़े से यहीं पड़े हैं
और एक वह जो मैंने मुट्ठी में जकडा हुआ है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
आज अकेले बैठे ही अनायास ही तुम याद आए
सब तरफ़ एक हँसी खुशबू सी थी
लगा तुम यहिओं कहीं हो, और आंसू उमड़ आए
इतना प्यार न करो मुझसे, कि
सह न सकूंगा, और 'गर करो तो
रखना विश्वास और मत गिनना यह पल
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
यह समय तुम्हारे लिए, मेरे लिए,
अकेलेपन में बिताये हुए पल,
वक्त के खंडहर में, कुछ उजड़े साल,
पुकारते हैं तुम्हे, तुम्हारे एहसास को आतुर,
और अब बीत रहे हैं, कि कल कुछ न रहेगा
तुम मेरे पल ले लो, और मैं तुम्हारे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
मुझे ढूँढने दो, इस भीनी सी महक
जो तुम्हारी है, जो फुसफुसा रही है,
मुझे यदा-कदा पुकार रही है
और प्राप्त करने दो मोक्ष, तुम में
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
इस ज़िंदगी में कुछ क्षण हैं,
जो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ,
कुछ गिरेहे जो खुलते नहीं
कुछ पिंजर जो अकेले सड़ से रहे हैं,
इनमे एक क्षण हैं, जब सब अर्थ खो जाते हैं
और एक वह जब सब मिट जाता है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
चलो वापिस लौट चलें
जब ना तुम थे और ना मैं
जब हम हम ही ना थे
जब हम एक दूजे से जुदा थे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
और क्या हश्र होगा हमारा,
जब वीरान दो टापू से
जिनका छोर नहीं मिलता
रहेंगे खड़े हम इस समय के अंत तक
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
वक्त के साथ हम बदल गए
मेरे एहसास पे निशां, और
कुछ भरे हुए से घाव, आखों के किनारे
अंधेरे, और तुम्हारी यादों कि शिकन,
अब कुछ बचा नहीं, छुपाने भर को
जब तुम गए, बदल गए सभी मायने भी
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
वक्त ही ख़राब रहा होगा
मैं कुछ उलझा उलझा सा था
शायद तुम भी, और अब क्या कहूं,
तुमको को ना इस ज़िंदगी में
और ना ही मौत में पा सकता हूँ
समय को रोकने की एक थकी सी कोशिश
टूटा हुआ सा धैर्य
ना आगे बढ़ पाने की हिम्मत
ना तुमको जाने दे पाने का साहस जुटा पा रहा हूँ, मैं
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
कभी रेत पे तुम्हारे निशान ढूँढता हूँ,
रात को अकेले ही मिकल जाता हूँ,
उस एक पल की तलाश में
जो लगता है लहरें बहा के ले गई अपने साथ
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
चलेगी वह चढेगी पालकी में
पीली दूब, गर्म ओस गम की
पखारेंगे कदम तुम्हारे उदासी से
बज उठेगा सन्नाटा, मेरी तन्हाई भी
जब हवा तुम्हारे बाल उड़ा कर ,
छुपा लेती थी तुम्हारी आंखें, तुम्हारी मुस्कराहट
अब भी चलती है, उसी मंथर गति से
पर अब अबस उड़ती है रेत, आंखों मैं आंसू लाती है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
मेरी आवाज़ आज भी टकरा के लौटती है
पर नहीं सुनायी देती है तुम्हारी हँसी
बस सुनता है, टू दर्द के थपेडों की चाप
आंखें बोझल हैं, पर नींद कोसों दूर खड़ी है
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
समझ सकता हूँ तुम्हारा मौन,
माना तुम मुझे माफ़ कर देती हो हर बार,
चल दिया हूँ मैं आगे, तुम भी बढ़ना
पर एक इल्तिजा है मेरी, मान लेना
माफ़ करो मुझे पर भूलना मत, यह एहसान करना
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
तमन्नोयों का क्या है, कुछ भी मांग सकता है,
नादान है यह दिल, इसका क्या बुरा मानना,
पर कितना भी बेह्लाओं, कितना भी समझाऊं,
है टू आख़िर मुझ में ही, कहता है तो मेरा ही दोष है,
समझा लूंगा ख़ुद को, दे के थोडी तस्सल्ली,
मेरा मत सोचो, मैं ख़ुद ढूंढ लूंगा अपना मोक्ष
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
ग़ालिब फैज़ दुहरा लिया करूंगा,
अगर टैब भी ना माना तो थोड़ा बेहेक लूंगा
तुम ज़रा भी घाम न करना, देखें हैं जो सपने,
उन्हे चाहूँगा, उन्हें पाऊंगा, बड़ी हसरत,
से मिली है यह ज़िंदगी, इससे वफ़ा करूंगा,
थोडा दर्द है, थोडा गम है, लेकिन जिए जाऊँगा
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
कभी गर किस्मत, जो अभी हम पे मेहरबान नहीं,
मिला दे हमें, ज़िंदगी के किसी मोड़ पर,
हँसना, कहना, बहुत दिन बाद मिले, कैसे हो,
चलना तो कहना अच्छा लगा, जल्द ही फिर मिलेंगे
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
गया नहीं किसी मन्दिर किसी गिरजे,
नहीं माँगा कुछ भी तुम्हारे सिवा, तुम्हारे बाद,
आज बहुत तमन्ना है की कुछ मांगू, कुछ चाहूँ,
चाहा की तुम खुश रहो, रहो सुखी, रहो आबाद सदा,
और चाहा ही है, तो मांग बता की तुम, तुम्हारी याद,
आए जिस तरह तुम आते थे, बहार साथ लाते थे,
तू एक हँसी ख्वाब बन के रह जा
Comments